Posts

کاشی کے چندن میں مدینہ کی وہ خوشبو

کاشی کے چندن میں ہے -مدینہ کی وہ خوشبو دنیا کی ہر رونق کو -میں نام تمہارے کر دوں وہ مٹھی بھر امیدیں -وہ گہرے غم کے سائے وہ چھتری دھوپ سنہری -اور لمبی لمبی راہیں لب پر نام ہو رب کا -جب سفر ختم ہو جائے تیری مٹی پاک مدینہ -تیرا کن کن پاون کاشی جنت کو میں کیا چاہوں -بس نام تمہارا کہہ دوں کاشی کے چندن میں ہے -مدینہ کی وہ خوشبو دنیا کی ہر رونق کو -میں نام تمہارے کر دوں محبت کے ہیں مرکز -امن کا آشیانہ گنگا تو ندی نہیں ہے -تم سے رشتہ بہت پرانا ہر ڈبکی میں تیری -کائنات نظر جو آئے میرے دل سے پوچھو تم بھی -میری روح بسی ہے تجھ میں میرے قدم چلیں نیکی پر -ہمسایہ بن کر چل دوں کاشی کے چندن میں ہے -مدینہ کی وہ خوشبو دنیا کی ہر رونق کو -میں نام تمہارے کر دوں ہو گئیں مرادیں پوری -راہی کو ملا ٹھکانا امیدیں جگیں نویلی -عبادت کا ایک بہانہ میرا ہر دن عید دیوالی -ہر لمحہ خوشی لٹاو مندر میں خدا ملے تو -مسجد میں روز میں جاؤں کاشی کے چندن میں ہے -مدینہ کی وہ خوشبو دنیا کی ہر رونق کو -میں نام تمہارے کر دوں دن بیتے شہر مدینہ -اور سانجھ پڑی ہے

स्वागत है!!

मेरे ब्लाॅग पर आपका स्वागत है। गांव का गुरुकुल एक आॅनलाइन लाइब्रेरी है। मैं इसे एक एेसे स्कूल के रूप में विकसित करना चाहता हूं जहां मोटी-मोटी उबाऊ किताबें आैर पीट-पीटकर पढ़ाने वाले मास्टर न हों। आप मेरे साथ फेसबुक पर भी जुड़ सकते हैं। इसके लिए यहां क्लिक कीजिए मुझसे संपर्क करने के लिए यहां दायीं आेर दिया गया Contact Form भरकर भेजिए। - राजीव शर्मा - 

काशी के चंदन में मदीने की वो खुशबू

काशी के चंदन में है मदीने की वो खुशबू। दुनिया की हर रौनक को मैं नाम तुम्हारे कर दूं। वो मुट्ठी भर उम्मीदें वो गहरे गम के साए। वो छितरी धूप सुनहरी और लंबी-लंबी राहें। लब पर नाम हो रब का जब सफर खत्म हो जाए। तेरी मिट्टी पाक मदीने तेरा कण-कण पावन काशी। जन्नत को मैं क्या चाहूं बस नाम तुम्हारा कह दूं। काशी के चंदन में है मदीने की वो खुशबू। दुनिया की हर रौनक को मैं नाम तुम्हारे कर दूं। मुहब्बत के हैं मरकज अमन का आशियाना। गंगा तू नदी नहीं है तुमसे रिश्ता बहुत पुराना। हर डुबकी में तेरी कायनात नजर जो आए। मेरे दिल से तुम भी पूछो मेरी रूह बसी है तुझमें। मेरे कदम चलें नेकी पर हमसाया बनकर चल दूं। काशी के चंदन में है मदीने की वो खुशबू। दुनिया की हर रौनक को मैं नाम तुम्हारे कर दूं। हो गईं मुरादें पूरी राही को मिला ठिकाना। उम्मीदें जगीं नवेली इबादत का एक बहाना। मेरा हर दिन ईद-दिवाली हर लम्हा खुशी लुटाऊं। मंदिर में खुदा मिले तो मस्जिद में रोज मैं जाऊं। काशी के चंदन में है मदीने की वो खुशबू। दुनिया की हर रौनक को मैं नाम तुम्हारे कर दूं।
Welcome To My Blog - Ganv Ka Gurukul. It is an online library. I am Rajeev Sharma from Kolsiya, a village of Rajasthan in India. It is situated in Jhunjhunu District. I am a writer. Ink is my blood and pen is my heart. When I was student of 9th class (Year 2000) My Library Ganv Ka Gurukul was established in Kolsiya. Now It is an online library and many books are available here. I have also written some ebooks. They were very appreciated by readers. Especially My Book- Paigambar Ro Paigam. It is first ever biography of Prophet Muhammad (PBUH) in Marwari language. I'll launch new version of my library in English soon. Thank You! Regards Rajeev Sharma You May Add Me On Facebook
Image
                                                                                     Me With My Mommmm
गांव का गुरुकुल में आपका स्वागत है। यह एक आॅनलाइन पुस्तकालय है। कृपया इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए  यहां क्लिक कीजिए
Image