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Showing posts from October, 2015

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मेरे ब्लाॅग पर आपका स्वागत है। गांव का गुरुकुल एक आॅनलाइन लाइब्रेरी है। मैं इसे एक एेसे स्कूल के रूप में विकसित करना चाहता हूं जहां मोटी-मोटी उबाऊ किताबें आैर पीट-पीटकर पढ़ाने वाले मास्टर न हों। आप मेरे साथ फेसबुक पर भी जुड़ सकते हैं। इसके लिए यहां क्लिक कीजिए मुझसे संपर्क करने के लिए यहां दायीं आेर दिया गया Contact Form भरकर भेजिए। - राजीव शर्मा - 

काशी के चंदन में मदीने की वो खुशबू

काशी के चंदन में है मदीने की वो खुशबू। दुनिया की हर रौनक को मैं नाम तुम्हारे कर दूं। वो मुट्ठी भर उम्मीदें वो गहरे गम के साए। वो छितरी धूप सुनहरी और लंबी-लंबी राहें। लब पर नाम हो रब का जब सफर खत्म हो जाए। तेरी मिट्टी पाक मदीने तेरा कण-कण पावन काशी। जन्नत को मैं क्या चाहूं बस नाम तुम्हारा कह दूं। काशी के चंदन में है मदीने की वो खुशबू। दुनिया की हर रौनक को मैं नाम तुम्हारे कर दूं। मुहब्बत के हैं मरकज अमन का आशियाना। गंगा तू नदी नहीं है तुमसे रिश्ता बहुत पुराना। हर डुबकी में तेरी कायनात नजर जो आए। मेरे दिल से तुम भी पूछो मेरी रूह बसी है तुझमें। मेरे कदम चलें नेकी पर हमसाया बनकर चल दूं। काशी के चंदन में है मदीने की वो खुशबू। दुनिया की हर रौनक को मैं नाम तुम्हारे कर दूं। हो गईं मुरादें पूरी राही को मिला ठिकाना। उम्मीदें जगीं नवेली इबादत का एक बहाना। मेरा हर दिन ईद-दिवाली हर लम्हा खुशी लुटाऊं। मंदिर में खुदा मिले तो मस्जिद में रोज मैं जाऊं। काशी के चंदन में है मदीने की वो खुशबू। दुनिया की हर रौनक को मैं नाम तुम्हारे कर दूं।